किसानों और सरकार के बीच 11 वे राउंड की वार्ता भी रही बेनतीजा
किसानों और सरकार के बीच 11 वे राउंड की वार्ता
सरकार और किसान दोनों की हठधर्मिता के चलते किसानो और सरकार के बीच 11वे राउंड की वार्ता भी रही बेनतीजा.
Deep Analysis
Updated on: 23 Jan 2021
कृषि कानून बिलों के विरोध में किसान लगातार शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे है. जबकि सरकार लगातार किसानो से बातचीत करके मामले का हल निकालने के प्रयास भी करती रही है. हलाकि, किसान चाहते है कि तीनो कृषि बिल पूरी तरह से ख़ारिज किये जाये जबकि सरकार ऐसा करने के बिलकुल भी मूड में नहीं दिख रही है. सरकार अपनी शर्तो पर बिलों में संशोधनों करने के लिए तैयार है लेकिन किसान लगातार बिलों को वापस लेने की जिद पर अड़े हुए है.
क्या हुआ 11वे दौर की बातचीत में
बतादे कि बीते शुक्रवार 22 जनवरी को किसानो और सरकार के बीच हुई वार्ता भी किसी नतीजे तक नहीं पहुँच सकी. कहने के लिए तो ये वार्ता 5 घंटे चली किन्तु किसानो और सरकार के मंत्रियों के बीच ब-मुश्किल 30 मिनट ही बात चीत हो पाईं. किसानो का आरोप है कि सरकार के नुमाइंदे ढाई घंटे के विलम्ब से आये जिससे की मीटिंग का आधा समय ऐसे ही व्यर्थ हो गया. जबकि आने के बाद मंत्री मंडल ने किसानो के सामने एक बार फिर अपना पुराना प्रस्ताव रखा. हालाकि किसानो ने एक बार फिर प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया और बिलों को वापस लेने की मांग की. इन सबके चलते मीटिंग का यह दौर भी बिना किसी निर्णय के खत्म हो गया.
अब नहीं करेंगे वार्ता
मीटिंग के बाद कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए बताया कि हमने किसानो से 11 राउंड की बैठके की. यूनियन लगातार अपनी जिद को लेकर अडी हुई है. मंत्री जी ने कहा की हमने किसानो को कई तरह के विकल्प दिए फिर भी कोई नतीजा नही निकला. इसके साथ ही श्री तोमर ने आगे कोई भी वार्ता न करने की भी बात कही है. इसके साथ ही उन्होंने आन्दोलन पर निशाना साधते हुए कहा कि इस किसान आन्दोलन के पीछे कोई दूसरी ताक़त लगी हुई है जो आन्दोलन को खत्म नही होने देना चाहती. किसानो ने भी सरकार पर ढेर सारे सवाल खड़े किये है, उनके मुताबिक सरकार उनकी शर्तो को लगातार अनदेखा कर रही और अपनी हाथ पर अड़ी हुई है. बतादे कि बीते दिन हुई वार्ता में किसान नेता सही समय से पहुँच गये थे जबकि सरकार के पधाधिकरियो ने उनको ढाई से तीन घंटे का इन्तेजार करवाया, जिस पर किसान काफी ज्यादा नाराज दिखाई दिए. इसके साथ ही सरकार भले ही किसानो को ढेर सारे विकल्प देने की बात कर रही है किन्तु वह भी कानून लागू करने के अपने फैसले से पीछे नहीं हटना चाह